आहट की आवाज़ सुनी
जैसे कह कह रहा हो;
मैं आ गया हूँ
आ गया हूँ तुम्हें डराने
तुम्हें एहसास दिलाने कि;
तुम अकेले नहीं हो
अकेले नहीं हो तुम
मैं भी तो हूँ
बस, आया था यही बताने
हाँ, आहट ही तो है
एक आहट सुख की
और एक आहट दुःख की
एक उसके उसके आने की
और एक उसके जाने की
एक उसे पाने की
एक सब लुट जाने की
आहटों की राह ताके
आहटों में मन है झांके
आहटों के साथ जीना
औ उन्ही के साथ मरना
आहटों का साथ हैं
आहटों का हाथ है
क्या पता क्या ले के आए
क्या पता क्या ले के जाए
फिर भी आँखें खोजती हैं
एक आहट जो सताए
साथ लाये ज़िंदगी या
साथ लेकर मौत आए
किंतु दिल बोला है करता
एक आहट रोज आए
बाल किशन
२५-०७-२००८
प्रातः ९:३१
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26 comments:
kamal ki aahat hai..
bahut badhiya sir..
Ek aahat jiske intazaar me log jindgi gujaar den..
कुछ विरोधाभास है आपकी कविता में.... अब ये अलंकार रूप में है या कवि की गलती समझ में नही आ रहा.... बावजूद इसके आप प्रयास जरुर करे....
badhiya hai...
ये आहट सही लगी...
राहत इन्दोरी साहेब का एक शेर है:
"किसने दस्तक दी दरवाजे पर, कौन है
आप तो अन्दर हैं फ़िर ये बाहर कौन है
नीरज
लगता है नीरज भइया के कल वाले कमेन्ट का असर आज की कविता में दिखाई दे रहा है. ये आहट तो हमें भी पसंद आई...ऐसे ही अपने आने की आहट देते रहिये.
लगता है नीरज की की भेजी कलम मिल गयी आपको। बड़ा तेज कूरियर है!
वाह जी वाह!! गजब आहट है..कभी कहीं बटोरा था:
अंदाज हूबहू उसकी आवाजे पा का था...
दरवाजा खोल के देखा, झोंका हवा का था!!
--बहुत खूब!
बहुत achee आहट है sir जी
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आहात तो सच में अच्छी है... !
क्या पता क्या ले के आए
क्या पता क्या ले के जाए
फिर भी आँखें खोजती हैं
एक आहट जो सताए
साथ लाये ज़िंदगी या
साथ लेकर मौत आए
किंतु दिल बोला है करता
एक आहट रोज आए
" bhut sunder, behtreen"
hva kee srsraht se bhee lge taire hee aahet aaye hai,is ek umeed may jane humne kitne sadyeena beetayen hain"
aaj pahli baar aapka blog dekha, kafi achchhi kavitai hain] ek aahat ko padh meine v apne aas paas ki aahat suni.
bhavnao ko kafi achche se ukera hai is kavita me...
किशन भाई, बहुत अच्छी लगी आपकी रचना.पिछली रचना भी मुझे बहुत पसंद आई थी.
कविता भाव,शब्द और शिल्प का समुचित समन्व्यय/सामंजस्य है.पर इसमे भाव प्रमुख होता है. भाव यदि सुंदर न हो तो शब्द शिल्प व्यर्थ हो जाते हैं.
मुझे आपकी कविताओं में एक अच्छे कोमल भावुक ह्रदय व्यक्तित्व के दर्शन होते हैं. यदि आप इसके प्रति गंभीर हो जायें तो निश्चित रूप से बहुत ही उत्कृष्ट लिख पाएंगे.
किंतु दिल बोला है करता
और भाई भतीजे म्हारा दिल तो यो बोल रहया सै
की इतनी सुथरी कविता ताऊ नै तो इब तक ना पढी ! भाई लिखता रह ! और आगे ही आगे बढ़ता रह !
घण्णी बधाई तन्नै , इतनी सुथरी कविता पढाण
खातर !
बालकिशन जी आपका जबाव नहीं मैं तो वैसे भी आपकी लेखनी का तूफान पंखा हूं आपको बहुत पढता हूं मजा आ गया अच्छी लगी आपकी ये भावमय आहट बधाई हो आपको
आहट पर ही तो जिन्दगी टिकी हे बाल किशन जी,
आप की कविता बहुत सुन्दर लगी धन्यवाद
आहट पहुंच ही गई हम तक। कविता लेकर।
ये आहट तो कुछ देकर ही गई है लेकर नही और इसका तोहफा बहुत पसंद आया ।
बालकिशन भईय्या,
यह आहट कहीं इनकम टैक्स वालों की तो नहीं ? आये तो समझे, लेकिन मूड़ पटक रहे हैं कि आखिर क्या लेकर जाये..?
मेरे पापी मन में तो यही खटक रहा कि ई आहटिया
' सर्च नोटिस लेकर आये और दबा माल लेकर जाये 'वाली तो नहीं रही !
जहाँ तक हमरा दिमाग दौड़ेगा..हम उँहीं तक दौड़ायेंगे न ?
बहुत सुंदर बालकिशन जी - आते रहना पड़ेगा नयी कवितायें पढने.
bahut sundar likha hai ji likhte rahe ahat wakai mein sundar hai
आहट में सब कुछ ... बहुत सुन्दर ...
pahli baar aapkaa blog dekha kaafi accha laga sabse acchaa aahat ko padkar laga.
vichaaroon ka prastutikaran kaafi badiaa hai aahaat ekdam sateek aahahtoon kaa ehsaas karaati hai
हाँ, आहट ही तो है
एक आहट सुख की
और एक आहट दुःख की
एक उसके उसके आने की
और एक उसके जाने की
एक उसे पाने की
एक सब लुट जाने की
bahut sundar likha hai. badhayi sweekaren.
जनाब बालकिशन साहेब,
देर से आने के लिए मुआफी चाहता हूँ. जनाब नज़्म की सुन्दरता दिल में बस गई. नाज्मियत को उरूज पर ले जाकर बैठा दिया आपने. आपको हमारा सलाम. रोशनाई की चमक ऐसे ही बनी रही, यही दुआ है.
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