मेरा भाई मुझे समझाकर कहता था - "जानती है पूनम -
तारे हैं चुटपुटिया बटन
रात के अंगरखे में टंके हुए!"
मेरी तरफ़ 'प्रेस' बटन को
चुटपुटिया बटन कहा जाता था,
क्योंकि 'चुट' से केवल एक बार 'पुट' बजकर
एक-दूसरे में समां जाते थे वे.
वे तभी तक होते थे काम के
जब तक उनका साथी
चारों खूंटों से बराबर
उनके बिल्कुल सामने रहे टंका हुआ!
ऊँच-नीच के दर्शन में उनका कोई विश्वास नहीं था!
बराबरी के वे कायल थे!
फँसते थे, न फँसाते थे - चुपचाप सट जाते थे.
मेरी तरफ़ प्रेस-बटन को चुटपुटिया बटन कहा जाता था,
लेकिन मेरी तरफ़ के लोग ख़ुद भी थे
चुटपुटिया बटन
'चुट' से 'पुट' बजकर सट जाने वाले.
इस शहर में लेकिन 'चुटपुटिया' नज़र ही नहीं आते-
सतपुतिया झिगुनी की तरह यहाँ एक सिरे से गायब हैं
चुटपुटिया जन और बटन
ब्लाऊज में भी दर्जी देते हैं टांक यहाँ वहां हुक ही हुक,
हर हुक के आगे विराजमान होता है फंदा
फंदे में फँसे हुए आपस में कितना सटेंगे-
कितना भी कीजिये जतन
'चुट' से 'पुट' नहीं बजेंगे
अनामिका जी के काव्य-संग्रह दूब-धान से साभार
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9 comments:
पहले तो सोचे की सिर्फ़ पढ़ लेते हैं कमेन्ट नहीं करेंगे...अंग्रेजी की कहावत टिट फार टेट करेंगे... आजकल आप भी कहाँ गरीब के ब्लॉग पर आते हैं? बाद में पोस्ट पढ़ कर दिल पसीज गया...हमारी आपकी अनबन में अनामिका जी का क्या कसूर??? इसलिए ये कमेन्ट भी उन्ही के लिए है...आप बाजु खड़े रहें बीच में ना आयें...
अनामिका जी
नमस्कार
आप को यहाँ देख कर आश्चर्य हुआ...कविताओं के लिए यहाँ एक से बढ़ कर एक ब्लॉग उपलब्ध है लेकिन आप ने ये ब्लॉग क्यूँ चुना, अपनी रचनाएँ मुझे भी भेज सकती थीं, मैं उसे सजा संवार के पोस्ट करता...खैर आप लिखती बहुत अच्छा हैं.....आप की कविता बहुत बढ़िया लगी....(हमारे यहाँ इन बटनों को "टिच बटन" कहते हैं.) टिच बटनों के अतिरिक्त अगर आपने अपनी कभी कोई कविता कहीं पोस्ट करनी हो तो हमें भूलियेगा नहीं.
नीरज
बिल्कुल सही और यादों में बसा शब्द है चुटपुटिया बटन। बन्द करने-खोलने का आनन्द अब भी याद है।
अच्छी प्रस्तुति बालकिशन!
पढ़ा चुटपुट।
बढ़िया कविता ...
अनामिका जी को बधाई.
बड़े दिनों बाद दर्शन दिए... अच्छी कविता !
achchi kavita hai...
पढ़ा चुटपुटिया बटन अच्छी बढ़िया कविता ....
देशज का सुंदर प्रयोग
लेकिन इसमें जीवन का
सहज स्वर भी है.
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बधाई
डा.चन्द्रकुमार जैन
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