किसी अन्धियरिया रात का सपना होगा
पसीने से नहाए अकबकाये से मुंह पर
खिंचती जायेगी आश्वासन की रेखा कि;
कंधे पर रखा हिमालय उतरेगा कभी
कटोरी भर आटा चेहरे पर पोत कर
दिखाएँगे, लाजवायेंगे सब को कि;
देखो खली पेट अब भर गया है
भूख का अजगर पाँव के रास्ते उतर गया है
किसी राजा की कहानी सुनेंगे
हिरन पर तीर चलाने वाला राजा
काट कर रखेगा दो फांक आम
जंगल के झरने पर लिखेगा अपना नाम
राजा का तो पानी पर लिखा नाम भी
सदियों रहता है, खिंचता है
उड़ता रहता आसमान में
और मेरा?
पत्थर पर भी नहीं.
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5 comments:
अत्यन्त सुन्दर रचना लगी ।
बड़ा अन्याय है भाई !
बहुत सुन्दर रचना। सिर झनझना गया है मतलब समझने में।
बाबू बाल किशन जी
बहुत आभार एक बेहतरीन रचना
देखो खली पेट अब भर गया है
भूख का अजगर पाँव के रास्ते उतर गया है
Sorry for my bad english. Thank you so much for your good post. Your post helped me in my college assignment, If you can provide me more details please email me.
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