दुश्मन तो खुले-आम करते है दुश्मनी की बातें
दोस्त मगर कब क्या कर गुजरे तुमको क्या मालूम.
अगर पोंछने वाला कोई हो साथी तो
आंसुओं का मज़ा क्या है तुमको क्या मालूम.
अरे नादान सूरज चाँद सितारों की बातें करता है
आसमान मे कब बादल छा जाय तुमको क्या मालूम.
गैरों पे करम अपनों मे सितम करवा दे
ये कमबख्त इश्क क्या-क्या करवा दे तुमको क्या मालूम.
वो और होंगे खंजरो-नश्तर चाहिए कत्ल करने के लिए जिनको
तेरी आंखो ने कितनों को मार डाला तुमको क्या मालूम.
जन्नत खरीद ले तू सारी या खुदाई सारी
एक बच्चे की खुशी मे होता खुदा खुश तुमको क्या मालूम.
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बताएं:-
१) पान क्यों सड़ा?
२) घोडा क्यों अड़ा?
३) पाठ क्यों भुला?
(जवाब सिर्फ़ एक ही है.)
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22 comments:
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जन्नत खरीद ले तू सारी या खुदाई सारी
एक बच्चे की खुशी मे होता खुदा खुश तुमको क्या मालुम.
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वाह, बाल किशन, इन पंक्तियों के भाव ने सवेरे सवेरे प्रसन्नता ला दी! धन्यवाद।
) पान क्यों सड़ा?
२) घोडा क्यों अड़ा?
३) पाठ क्यों भुला?
-पुराना हो गया था. :)
रचना उम्दा है.
"अगर पोंछने वाला कोई हो साथी तो
आंसुओं का मज़ा क्या है तुमको क्या मालूम"
आज का दिन इस शेर का. बहुत उम्दा रचना. शुक्रिया, ख़ास कर इस शेर का.
kyoki fera na tha
haanji, purana ghoda adta nahi hai
दोस्त मगर कब क्या कर गुजरे तुमको क्या मालूम
बहुत गहरी बात.. मज़ा आ गया पढ़कर..
जन्नत खरीद ले तू सारी या खुदाई सारी
एक बच्चे की खुशी मे होता खुदा खुश तुमको क्या मालुम.
bahut sunder
bahut hi sunder
गैरों पे करम अपनों मे सितम करवा दे
ये कमबख्त इश्क क्या-क्या करवा दे तुमको क्या मालूम.
***
जन्नत खरीद ले तू सारी या खुदाई सारी
एक बच्चे की खुशी मे होता खुदा खुश तुमको क्या मालुम.
***
सही लिखा बालकिशन जी ...बहुत पसन्द आई आपकी यह रचना ..लिखते रहे :)
वाह! वाह!
गुरु तुम तो दो दिन से गजब ढा रहे हो. साहित्य के सागर में उतर गए हो. पंकज सुबीर जी की पाठशाला में जरूर जाओ. बाहर का सम्पूर्ण ज्ञान ले लोगे तो गजल को चार तो क्या आठ चाँद लगा सकते हो. बहुत खूब..
जवाब है फ़ेरा ना गया
लेकिन हमारी भगवान से यही प्रार्थना है कि आप कभी फ़ेरा के चक्कर मे ना फ़से ,वैसे सुना है इसमे बडे बडे लोग ही फ़सते है :)
घर से मस्जिद है,बहुत दूर चलो यूँ कर लें,
किसी रोते हुए बच्चे को हसाँया जाए।।
बहुत बढिया पोस्ट।आभार
अजी हम तो घणे दिनों से ही यही माने बैठे है
कि हमको क्या मालूम।
जन्नत खरीद ले तू सारी या खुदाई सारी
एक बच्चे की खुशी मे होता खुदा खुश तुमको क्या मालुम.
bahut achha hai..
क्या बात है हजूर, बहुत खूब!
बढ़िया पढ़ाया भाई. धन्यवाद!
और आपके कूट का जवाब है- 'फेरा नहीं गया'.
बढ़िया है जी.
जन्नत खरीद ले तू सारी या खुदाई सारी
एक बच्चे की खुशी मे होता खुदा खुश तुमको क्या मालुम.
baar baar padte hain aur mugdh hote hain. bahut khoobsoorat rachna. khas kar yeh sheer to dil moh gaya.
bahut badhiya sir ji..
usane jaane anjaane me kya kya likh daala..
Tumko kyA maaloom.. :)
"गैरों पे करम अपनों मे सितम...." एय जाने वफ़ा ये जुल्म ना कर...भाई अगर आप शायरी करने लग गए और वो भी इतनी उम्दा तो हम कहाँ जायेंगे? कभी सोचा है? आप तो हमारे अपने हो इसलिए कह रहे हैं की " गैरों पे करम अपनों पे सितम... " जले पे नमक शिव बाबू छिड़क रहे हैं आप को ये कह के की सुबीर जी की कक्षा में चले जाओ...अरे भाई वो हमारे गुरु हैं उनके लिए हमारे जैसे एक चेले को ही संभालना इतना मुश्किल हो रहा है कहीं आप भी उनकी शरण में चले गए तो उनकी कक्षाएं बंद ही समझो...अच्छे बच्चों की तरह भईया गध्ध ही लिखो इसमें तुम्हारा भी भला और हमारा भी...
अब जब सब लोग कह रहे हैं तो हम भी झक मार के कह ही देते हैं...बहुत बढ़िया रचना..."
पान घोडा और पाठ...का जवाब है "पलटा न था...." ये ही बात आप को समझ में नहीं आयी भईया पलट जाओ...शायरी में कुछ नहीं रखा है...
नीरज
अरे नादान सूरज चाँद सितारों की बातें करता है
आसमान मे कब बादल छा जाय तुमको क्या मालूम...
बेहद लोकप्रिय अंदाज है। उम्दा रचना...
हां, सवाल का जवाब दिया जा चुका है...फेरा नहीं।
बेहतरीन शेर हैँ -
इसी तरह लिखते रहेँ -
वाह शायर तू ने जमा दिया। अब आया करुगा तेरे अड्डे पर नियमित
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