Monday, December 24, 2007

गुजरात चुनावों का रिजल्ट और सतीश कुमार का सपना

सी सी टीवी का स्टूडियो. टाई और शूट पहने दो एंकर. दोनों के सामने लैपटॉप. दोनों 'आर्यावर्ते, जम्बू द्वीपे भारतवर्षे' होने वाले चुनावों के विशेषज्ञ. एक का नाम प्रमोद मालपुआ और दूसरे का नाम अज्ञान विकास. इन दोनों को चैनल ने जिम्मेदारी दी है कि 'गुजरात चुनावों के आनेवाले परिणामों की व्याख्या करें और कार्यक्रम के दौरान हर दस मिनट पर साल २००२ के दंगों का जिक्र करना न भूलें. इन्हें गुजराती जानकारी देने के लिए इनके वरिष्ठ सहयोगी सतीश कुमार को गुजरात में चार महीने से पोस्ट (ब्लॉग वाला पोस्ट नहीं) किया जा चुका है. सतीश कुमार ने पिछले चार महीनों में गुजरात, मोदी, सड़क, हिंदुत्व, आडवानी, विकास वगैरह पर अपना शोध पूरा कर लिया है. इन्हें प्रोफेसर बंदूकवाला ने ख़ुद इस शोध के लिए डिग्री इन्ही के टीवी कैमरे के सामने सौंपी है.

आठ बज चुके हैं. चुनाव परिणामों पर आधारित(?) कार्यक्रम शुरू होने वाला है. सबसे पहले प्रमोद मालपुआ टीवी पर दिखाई देते हैं. दिखते ही अपने मुखार-विन्दुओं से शुरू हो जाते हैं; "नमस्कार, मैं हूँ प्रमोद मालपुआ और मेरे साथ हैं हमारे सहयोगी अज्ञान विकास. जैसा कि आप जानते हैं, आज गुजरात चुनाओं के परिणाम आने वाले हैं. हम इन परिणामों को आपके सामने लाने की कसम खा चुके हैं. अज्ञान क्या लगता है आपको, गुजरात में आज क्या होगा?"

अज्ञान विकास को अब टीवी पर देखा जा सकता है. वे भी शुरू हो जाते हैं; "प्रमोद जी, देखने वाली बात है कि किस तरह से गुजरात में कहीं न कहीं एक तरह का भय का माहौल है. मोदी ने पिछले सालों में हिंदुत्व के मुद्दे को जिस तरह से आगे बढाया है, उससे गुजरात की जनता अब पस्त हो गई है. वैसे भी आपने देखा ही होगा, हमने अपने एग्जिट पोल में बताया ही है कि बीजेपी को अगर बहुमत मिलेगा भी, तो बहुत कम मार्जिन से."

"बिल्कुल, अज्ञान आप ठीक कह रहे हैं. मोदी ने जो कुछ भी किया है, उसका जवाब गुजरात की जनता इस चुनाव में उन्हें देगी. आप तो जानते ही हैं, मैं तो दुष्यंत कुमार को हमेशा कोट करता हूँ. उन्होंने लिखा है; हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए...."; प्रमोद मालपुआ जी ने कहा.

"प्रमोद जी, यहाँ देखने वाली बात ये भी है कि मोदी से ख़ुद उनकी पार्टी वाले भी डरे हुए हैं. उनकी अपनी पार्टी के नेता नहीं चाहते कि वे जीतें. उनकी पार्टी के प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने ख़ुद उनकी कितनी आलोचना की है, हम सभी देख चुके हैं. और तो और, पूरा देश त्रस्त है मोदी से" ; अज्ञान विकास ने मालपुआ जी से कहा.

तब तक सतीश कुमार टीवी स्क्रीन पर दिखाई देते हैं. उन्हें देखते ही प्रमोद मालपुआ जी ने कहा; "और हमारे संवाददाता सतीश कुमार अब हमारे सम्पर्क में हैं. आईये उनसे पूछते हैं कि शुरुआती रुझान किसकी तरफ़ हैं. सतीश क्या हाल है वहाँ. शुरुआती रुझानों से क्या लगता है आपको?"

"प्रमोद जी, जैसा कि आप जानते हैं, मैंने पूरे गुजरात पर हाल ही में एक समग्र पी एचडी की है. अपने अध्ययन और खोज से मैंने पता लगा लिया है कि इस बार मोदी का जीतना मुश्किल है. हमारे एग्जिट पोल के नतीजे हालांकि बताते हैं कि मोदी के जीतने का चांस है, लेकिन मुझे लगता है कि उनका जीतना मुश्किल है. फिर हमारी पार्टी ने इस बार के चुनावों में पूरी मेहनत की है. कल मेरी बात कुछ सट्टेबाजों से हुई है. इन सट्टेबाजों का मानना भी यही है कि हमारी पार्टी जीत जायेगी"; सतीश कुमार ने बताया.

सतीश कुमार अभी बात कर ही रहे थे कि उनका सम्पर्क काट दिया गया. अज्ञान विकास ने सम्पर्क टूटने को लेकर कहना शुरू किया; "सतीश भावावेश में कुछ ज्यादा ही बोल गए. असल में वे गुजरात में विरोधी पार्टी को अपनी पार्टी कह बैठे, जो उन्हें दर्शकों से नहीं कहना चाहिए था. हमने इसीलिए उनका कनेक्शन काट दिया. आपलोग भूल जाइये कि उन्होंने ऐसा कुछ कहा है. हम उन्हें जब याद दिला देंगे कि वे टीवी के संवाददाता हैं, किसी राजनैतिक पार्टी के सदस्य नहीं, तब थोडी देर बाद उनसे फिर से सम्पर्क साध लेंगे."

अब तक शुरुआती रुझान आने शुरू हो चुके हैं. सतीश कुमार को समझा-बुझाकर उनसे फिर ऐ सम्पर्क साधा जा चुका है. उन्हें अब टीवी स्क्रीन पर देखा जा सकता है. उन्हें देखते ही प्रमोद मालपुआ जी ने कहा; "अब सतीश से हमारा सम्पर्क हो गया है. सतीश, ये बताईये, क्या लगता है आपको? शुरुआती रुझानों से क्या किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है?"

"बिल्कुल, प्रमोद जी, जैसा कि मैं कह रहा था, शुरुआती रुझानों से लगता है कि मोदी की विरोधी पार्टी को आशा से ज्यादा सीटें मिलेंगी. अभी तक कुल ६० सीटों के रुझान मिले हैं, जिनमे मोदी को २८ और हमारी पार्टी, ओह सॉरी, उनकी विरोधी पार्टी को २६ सीटों पर बढ़त हासिल है. अन्य को ६ सीटों पर बढ़त हासिल है"; सतीश कुमार ने बताया.

सतीश कुमार की रपट सुनकर स्टूडियो में बैठे दोनों एंकर की खुशी का ठिकाना नहीं है. प्रमोद मालपुआ ने कहना शुरू किया; "जैसा कि हमने बताया, इस बार गुजरात की जनता को न्याय मिलेगा. साथ में हमारी मेहनत को भी न्याय के दर्शन होंगे. एक बार पूरे नतीजे आ जाएँ, तो नतीजों से मिलाने वाले न्याय को हम सब मिल-बाँट कर अपने पास रख लेंगे. अज्ञान, आपका क्या मानना है?"

"बिल्कुल. आपने ठीक कहा. न्याय दिलाने और पाने की का सारा दारोमदार हमारे ऊपर है. और इस बार न्याय होकर रहेगा. चलिए, हमारा सम्पर्क एक बार फिर से सतीश कुमार से हो गया है. सतीश ताजा जानकारी क्या है आपके पास? रुझान क्या कहते हैं?"; अज्ञान विकास ने आवाज लगाई.

"अज्ञान, जैसा कि आप देख सकते हैं. अब पूरे १२० सीटों के रुझान हमारे सामने हैं. और १२० सीटों में से मोदी को केवल ४० सीटों पर बढ़त हासिल है. विरोधी पार्टी को ७६ सीटों पर बढ़त मिली है. जैसा कि आप देख सकते हैं, अब मैं विरोधी पार्टी के कार्यालय के सामने खडा हूँ. कार्यकर्ताओं का उत्साह देखते ही बनता है. यहाँ तो अभी से लड्डू बांटे जा रहे हैं. आप ख़ुद देख सकते हैं, किस तरह से कार्यकर्ताओं ने मेरे मुंह में लड्डू ठूस दिए हैं. मैं और बात नहीं कर पा रहा हूँ. मैं लड्डू खाकर वापस आता हूँ तब बात करता हूँ"; सतीश कुमार ने तुतलाती आवाज में कहा.

इतना कह कर सतीश सामने रखी टेबल पर से पेपरवेट उठाकर खाने लगे. उसे तोड़ने की बार-बार कोशिश करने के बाद भी जब पेपरवेट रुपी लड्डू नहीं टूटा, तो उनकी नींद खुल गई. देखा, सामने स्टूडियो में बैठे सभी निराश होकर स्टूडियो की छत की और देख रहे हैं. उन्हें दुखी देख, सतीश कुमार भी दुखी हो गए. उन्हें पता चल चुका था कि वे सपना देख रहे थे. उधर मोदी की पार्टी जीत रही थी.

11 comments:

Ashish Maharishi said...

एनडीटीवी के बहाने आपने किस किस पर निशाना साधा है बाल किशन जी

Shiv Kumar Mishra said...

क्या भइया,

ये सतीश कुमार जी का सपना कौन से सेटेलाईट से दिखाया गया जो आपने देख लिया? वैसे महर्षी जी का कहना क्या ठीक है? ये क्या एनडीटीवी की बात कर दी है आपने?

चलिए, हमें ये मानकर चलना चाहिए कि पत्रकारों की और बहुत सी मजबूरियां होती हैं. वैसे पत्रकारों ने गुजरात चुनावों में अच्छा काम किया, मैं ये मानता हूँ.

अनिल रघुराज said...

ज़मीनी हकीकत से कटे न्यूज चैनलों और पत्रकारों का सही खाका खींचा है आपने।

नीरज गोस्वामी said...

बाल किशन जी
चेहरा भी अच्छा खासा है बात भी बढ़िया ढंग से कर लेते हैं ज्ञान भईया के सम्पर्क और शिव से मित्रता के कारण काफी समझ भी आ गयी है तो क्यों नहीं आप इन टी वी रिपोर्टर्स की जगह ख़ुद चले जाते? हम भी ताकि गर्व से कह सकें की ये जो चन्द्र शेखर आजाद की तरह फोटो में खड़े नज़र आ रहे हैं, बिना मूंछ पे ताव दिए, हमारे दूर के परिचित हैं (मुम्बई और कलकत्ता के बीच की दूरी का जिक्र कर रहा हूँ). राजनीती और टी.वी. दोनों में दिलचस्पी ना होने के कारण हम आप की पोस्ट पर टिप्पीयाने काबिल नहीं रहे हैं. आप हमें इस बार क्षमा करे हाँ तब तक आप हमारी पोस्ट पर नज़र दृस्ती पात करे लेकिन उल्का पात की तरह भयावह नहीं.
नीरज

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत खूब!! बढिया खाका खीचा जमीनी हकीकत से कटे पत्रकारों का।ऐसा लगा की सच में सीधा टी. वी प्रसारण देख रहे हो।

Unknown said...

वजनदार मारू व्‍यंग्‍य, सशक्‍त व्‍या, जीवंत चित्रण। बहुत- बहुत बधाई।

Gyan Dutt Pandey said...

अभी अभी एक ब्लॉग पर मैने टिप्पणी की है। उसका एक अंश यहां भी टपका दूं - "हमें तो पत्रकार बिरादरी से सहानुभूति है। पूरी से नहीं - एक खण्ड से। बहुत रबिश उड़ाया। बहुत गर्दा। पर धो-पोंछ कर गुजरात मोदीफाई हो गया।"
यह तो आपने बताया कि पत्रकार स्वप्न पर बेस कर रिपोर्टिंग कर रहे थे। असल में पत्रकार की गरिमा उनके निष्पक्ष रिपोर्टिंग में है। वह खण्डित होती है तो कष्ट होता है।

Sanjeet Tripathi said...

धो डाला!!!!

अजित वडनेरकर said...

बहुत धांसू लिखा , बालकिशन भाई। एकदम दिल की बात ।

सागर नाहर said...

बालकिशन जी
मजा आगया, क्या मलमल के कपड़े में जूता लपेट कर मारा है आपने।
जिस पत्रकार बिरादरी का जिक्र आपने किया है वे अब इस तरह प्रलाप कर रहे हैं मानो मोदी के जीतने से सारे विधवा हो गये हों।
आज पाँच दिन बाद भी वे इस बात को पचा नहीं पा रहे हैं कि मोदी जीत गये।

सुनीता शानू said...

बालकिशन जी आपको नया साल बहुत-बहुत मुबारक हो...