मौका ऐ वारदात--- पूर्व मेदिनीपुर, पश्चिम बंगाल
मुख्य पात्र ----- राम बाबू और अनिल श्रीनिवास.
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सच्ची घटना है. सिर्फ़ दो दिन पुरानी. कल सारा दिन बंगला समाचार चैनलों पर छाई रही. राम बाबू छ: साल से सज़ा काट रहा एक मुजरिम और अनिल श्रीनिवास पूर्व मेदिनीपुर का पुलिस सुपर. दोनों मे भाई-भाई का रिश्ता है. (अगर कर चोर-चोर मौसेरे भाई तो चोर-पुलिस शायद फुफेरे भाई.) और दोनों गाँव भाई भी है क्योंकि दोनों ही हैदराबाद से है. परसों राम बाबू ने डी.आई.जी. को चिठ्ठी लिखकर शिकायत की कि श्रीनिवास ग़लत ढंग से उनकी धर्मपत्नी के सम्पर्क मे है और उनकी धर्मपत्नी भी उनका कहा नही सुन रही है तो कृपा करके मेरी पत्नी (पर पुरूष के सम्पर्क के कारण धर्म तो रह नही गया) मुझे वापस दिलाई जाय. ये तो हुई राम बाबू की पीड़ा. उधर श्रीनिवासजी ने तो बंगाल ही नही वरन सम्पूर्ण भारत की पुलिस को एक मार्ग दर्शन दिया अपराधियों से निपटने के लिए की अगर अपराध करोगे तो तुम्हे जेल में बंद करके आगे हम कुछ भी कर सकते है. इससे अपराधियों मे एक भय की सृष्टि होगी और अपराध की संख्या का ग्राफ ज्ञान भइया के ब्लॉग ग्राफ की विपरीत दिशा मे भागेगा.
आने वाले समय में यह कदम अपराध शास्त्र मे एक क्रांति का सूत्रपात करेगा. लेकिन हम तो बलिहारी है बंगाल सरकार के जो ऐसे नायाब पुलिस सुपर को पदक प्रदान करने के बजाय कभी ट्रान्सफर करने का या कभी सज़ा देने का सोच रही है.
और तो और इस बात का अनुकरण करके समाज,देश और राजनिती के क्षेत्रों में भी उलेखनीय सुधार की संभावना है. मेरा सभी ब्लॉगर भाइयों से निवेदन है की इस पर विचार किया जाय.
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9 comments:
किसी मुजरिम ने इस एंगल से कभी सोचा ही नहीं होगा की जुर्म की सज़ा जेल के सिवा पत्नी से हाथ धो बैठने की भी हो सकती है. ऐसा महान काम करने के लिए पुलिस अधिकारी का सम्मान करना चाहिए. सरकार शायद ये सोच रही है की कोई इंसान अपनी पत्नी को सज़ा देने के लिए भी तो मुजरिम बन सकता है, इसलिए तय नहीं कर पा रही की पुलिस वाले को सज़ा दे या इनाम.
मैं भी इस विषय पर विचार कर रहा हूँ और सरकार की तरह किसी निष्कर्ष पर अभी नहीं पहुँचा हूँ.
नीरज
आपने तो गंभीर चिंतन का विषय दे दिया. बैठा विचार कर रहा हूँ -कहीं माननीय श्रीनिवास जी के साथ अन्याय न हो जाये.
पश्चिम बंगाल के पुलिस तंत्र पर इससे शानदार टिप्पणी कोई और नहीं हो सकती।
अति निन्दनीय! हम भी जानना चाहेंगे कि सरकार ने क्या कदम उठाया…तबादला, उन्नती, या बरखास्त, या ये कह कर पल्ला झाड़ लिया कि ये तुम्हारा जाती मामला है
मुझे राम बाबू जी से पूरी सहानुभूति है - अपराध विषयक नहीं, पत्नी विषयक।
अपराध न करें - पत्नी बचायें।
समीर जी से सहमत हूँ । कभी कभी जोश में हम अन्याय भी कर बैठते हैं ।
घुघूती बासूती
पश्चिम बंगाल के पुलिस तंत्र पर आपने गंभीर चिंतन का विषय दे दिया,मामला निन्दनीय है!
अनिल श्रीनिवास जी असली पुलिस वाले हैं...उनका तबादला नहीं होगा...मुझे आशा है, बाकी के पुलिस वाले उनके साथ खड़े होंगे...
आपने हर्दय विदारक घटना लिखी है।
दीपक भारतदीप
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