Monday, October 29, 2007

सचिन सुन रहे हो कि नहीं

क्रिकेट बदल गया है।क्रिकेट वाले भी बदल गए हैं.खिलाडी बनने के तरीके बदल गए हैं.सचिन तेंदुलकर ने अनायास ही इतनी मेहनत की.क्रिकेट खेलने के लिए स्कूल बदला.इम्तिहान तक नहीं दिए.कितना पढे हैं, किसी को नहीं मालूम.रमाकांत अचरेकर से सीखने के लिए भाई को अपना पुराना स्कूल छोड़ना पडा.दिन-रात मेहनत करनी पड़ी.कितनी प्रैक्टिस और कितना समय देना पडा तब जाकर बड़े खिलाड़ी बन सके.आगे चलकर कोच से झगडा तक किया.

लेकिन अब समय बदल चुका है।आज किसी को बड़ा क्रिकेटर बनने के लिए इतना बलिदान देने की जरूरत नहीं.अब तो केवल आशीर्वाद चाहिए.कोई जरूरी नहीं कि आशीर्वाद किसी क्रिकेट के कोच का हो.बहुत पछता रहे होंगे सचिन तेंदुलकर कि काश उनके पिताजी नेता होते तो इतनी मेहनत से पीछा छूटता.पिताजी एक रैली करवाते.रेल गाडियाँ बुक करते.लाखों लोगों को के सामने स्टेज पर सचिन को लाते और इन लोगों को बताते कि "मैं नेता हूँ तो क्या हुआ.मेरा बेटा नेता नहीं बनेगा.वो तो केवल क्रिकेट खेलेगा." सचिन स्टेज पर सबके सामने माईक पर आते और हाथ ऊंचा करके दोनों हाथ जोड़ लेते.एक साथ लाखों लोगों का आशीर्वाद मिलता और वे क्रिकेटर बन जाते.

कल लालू जी ने आने वाली पीढ़ी के संभावित क्रिकेट खिलाडियों को अच्छी सीख दे दी है। अब ये इन संभावित खिलाडियों के पिताओं पर निर्भर करता है कि वे नेता बन पाते हैं कि नहीं.भविष्य में कोई लड़का क्रिकेटर बनना चाहता है तो ये उसका कर्तव्य है कि वो पहले अपने पिता को नेता बनने के लिए उकसाये.पिता एक बार नेता बन गया तो फिर उसे लाखों लोगों की रैली करने की जिद करे.रैली में आए लोग ख़ुद ही इस लडके को इतना आशीर्वाद दे देंगे कि उसका क्रिकेटर बनना तय समझिए.

सचिन सुन रहे हो कि नहीं.अर्जुन को अगर क्रिकेटर बनाना है तो पहले नेता बनो.

4 comments:

नीरज गोस्वामी said...

बाल किशन जी
मैं भी सोचता हूँ की किसी नामी गिरामी शायर के पाऊँ पकड़ लूँ तो हो सकता है लोग मुझे पढने लग जायें. लेकिन समस्या ये है की सिवा समीर नामक गीतकार के और किसी ने घास ही नहीं डाली. शिव को लिखता हूँ शायद किसी से पहचान निकाल लें और कोई न मिला तो आप तो हैं ही.
नीरज

Shiv said...

बाल किशन,

रास्ता तो सचमुच दिखाया है लालू जी ने...सचिन को समझ में तो आने चाहिए उनकी बात...लेकिन मेरा मानना है कि ये लालू जी की लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा है जिसकी वजह से वे अपने क्रिकेटर बेटे को आशीर्वाद लेने के लिए ले गए....क्रिकेट भी लोकतांत्रिक होना चाहिए इस देश में.

@नीरज भइया,

समीर-ओमीर क्या चेला बनायेंगे आपको....दो हजार गाने लिखने वाला ये गीतकार कुल मिलाकर ग्यारह शब्दों का प्रयोग करता है...उनकी क्या बिसात कि वे आपको शिष्य बनाने की कोशिश करें.

Gyan Dutt Pandey said...

बाल किशन जी नेता बनो। हम आपका चेला बनेगा!

डॉ० अनिल चड्डा said...

आप का ब्लाग बहुत अच्छा प्रयास है । एक सुझाव है । अलग-अलग विषयों पर अगर अलग-अलग बलाग बनाएँ तो बेहतर रहेगा ।