प्रस्तुत है जयराम 'आरोही' की कविता जो उन्होंने कल ही ब्लागिंग जैसे नए विषय पर लिखी है. आप कविता बांचिये.
लिखने का न लूर था, ब्लागिंग होइ गई बंद
कहाँ से लाता आईडिया, लगवाता पैबंद
लगवाता पैबंद थाम के रखता इसको
समझ में आया यही यहाँ से जल्दी खिसको
मगर आईडिया लेकर फिर से वापस आया
जल्दी से न भूले ये ब्लागिंग की माया
आज दिया कंसल्टेंट ने एक आईडिया मस्त
बोला डर की बात क्या? क्यों होते हो पस्त
क्यों होते हो पस्त मानकर बात हमारी
कसो कमर उतरो रन में करके तैयारी
कंसल्टिंग लेकर फिर से तैयार हुआ हूँ
खेने हिंदी की नैया पतवार हुआ हूँ
अगर नहीं कुछ लिख सकते तो बड़े बनो तुम
जो छलके हर पग पर ऐसे घड़े बनो तुम
घड़े बनो और बांटो ब्लागिंग के रहस्य हो
फिरो रात-दिन दो कमेन्ट तुम हर सदस्य को
फिर देखो कैसे चलती तुम्हरी दूकान है
इसी नींव पर खड़े हुए कितने मकान हैं
ब्लागिंग का ये ज्ञान अगर न बाँट सको तुम
अगर न ऐसी हीरोगीरी छाँट सको तुम
छाँट सको न हीरोगीरी मान वचन को
सजा सको गर नहीं बड़ी सी एक किचेन को
धैर्य न खोवो एक आईडिया देता हूँ मैं
तुम जैसे ब्लॉगर की नैया खेता हूँ मैं
सुनो आईडिया देता हूँ ब्रह्मास्त्र मानकर
फूले नहीं समाओगे तुम इसे जानकर
इसे जानकर आगे बढ़ एक काम करो तुम
दे अवार्ड ब्लागिंग का अपना नाम करो तुम
टिक जाओगे ब्लाग-जगत भी हिल जाएगा
तुम्हें ब्लागपति का पद झट से मिल जाएगा
वापस आया हूँ अब ब्लागिंग कर पाऊंगा
दे अवार्ड फिर से अपना पग धर पाऊंगा
धर पाऊँगा पग फिर उसे जमकर अंगद जैसे
रख दूंगा फिर ऐसे की वो उखड़े कैसे
धन्य-धन्य कंसल्टिंग वाले ब्लॉगविधाता
तुम न होते आज भला मैं कहाँ को जाता
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16 comments:
ब्लॉगिंग का अवार्ड एक धांसू आइडिया है।
एक ऐसा आइडिया जो बदल देता है पोस्टों और टिप्पणियों का जुगराफिया।
'अगर नहीं कुछ लिख सकते तो बड़े बनो तुम
जो छलके हर पग पर ऐसे घड़े बनो तुम'
वाह ! वाह ! क्या बात कही है कविवर ने. अवार्ड वाला आईडिया भी मस्त है... अभी ज्यादा चलन में नहीं आया है. इसके लिए तो कंसल्टेंट महोदय ने बड़ा चार्ज भी किया होगा. और आपने मुफ्त में प्रदान किया ब्लॉग जगत में आपका ये योगदान सदा याद रखा जाएगा.
ब्लागिंग पर बहुत नजदीकी नजर रखी है कवि ने।
मुझे तो इन पंक्तियों के रचयिता श्री शिवकुमार मिश्र जी प्रतीत हो रहे हैं....।:)
कोई चोरी का आरोप नहीं लगा रहा हूँ, बस जैसा लगा वैसा बता रहा हूँ। खैर आइटम मस्त है। बधाई।
बालकिशन भैया, जयराम 'आरोही' जी कविता यहां प्रकाशित कर के आपने हम ब्लागरो को धन्य कर दिया. एक से बढकर एस धांसु आइडिया से परिपुर्ण इस कविता के लिये धन्यवाद.
इसे तो सुबह शाम कम्पुटर के सामने अगरबत्ती लगाकर पाठ करने लायक है. :)
कब घोषित हो रहे हैं अवार्ड?
कंसल्टिंग लेकर फिर से तैयार हुआ हूँ
खेने हिंदी की नैया पतवार हुआ हूँ
-बने रहिये पतवार..शुभकामनाएँ.
मान ली आपकी कंसल्टिंग ...
कर दी है टिप्पणी ....!!
वाह भाई वाह. यह तो इंस्टैंट हिट हो गयी.
ये तो लाजवाब है जी, हम भी लाईन में खडे हैं.
रामराम.
अगर आप अच्छे कबाड़ी हैं तो शीर्ष पर पंहुचने से आपको कोई रोक नहीं सकता।
दे डालिये भंगार के कोटि कोटि अवार्ड!
Waah! Waah!
Itne dino ke gap mein aate ho aur Aarohi ji ki kavita thel kar chale jaate ho. Kuchh apna kyon nahin likhne?
Aarohi ji ki kavita bhi chirkut hi lagi.
बहुत जोरदार अनुभवी रचना ... लेखक तो ब्लागिंग के जानकार लगते हैं ऐसा रचना पढ़कर आभास हो रहा है . काफी दिनों आपके ब्लॉग में पोस्ट देखी ...आभार
आरोही जी कहाँ के हैं उनका तनिक पता बताईये न ताकि हम भी उनके दर्शन प्राप्त कर कुछ ज्ञान लें सकें और कुछ नहीं तो उनकी चरण धूल से खुद के लेखन को पावन कर सकें...ब्लॉग्गिंग के अवार्ड की घोषणा एक कविवर ने पूर्व में की थी लेकिन ब्लोगर्स की आपत्ति के कारण उसे वापस ले लिया गया...आपको यदि मालूम नहीं हो तो तुरंत दूर भाष से संपर्क करें हम बता देंगे...
वैसे बाल किशन जी इतने दिनों बाद पोस्ट डालेंगे तो आपको याद कौन रक्खेगा? आरोही जी को तो भूले जमाना हो गया...आपके पास समय नहीं है तो एक ठो घोस्ट राइटर रखलो जो आपके नाम से लिखे भी और टिपण्णी भी दे...आज कल ये धंधा भी खूब फलफूल रहा है...
पहले दो छंद में आरोही जी कमाल किये हैं ...काका हाथरसी याद आ गए...सच्ची....
नीरज
बालकिशन जी, बहुत इंतजार करवा कर आये आप और अब छलकते रहिये, यही कामना है।
WAAH !!! WAAH !!! WAAH !!!
JALAWAAB...JABARDAST...EKDAM DHAANSOO....
интересная письменность
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