पिछले महीने डॉक्टर ने मेरा ब्लॉग देखा और मुझे मूक-वधिर घोषित कर दिया. मैंने सोचा इन्होने मेरा कोई टेस्ट वेस्ट तो किया है नहीं तो फिर मेरा नाम मूक और वधिर रजिस्टर में क्यों डाला? शायद मेरी सोच भांप गए. बोले; "एक हिन्दी ब्लॉग के मालिक हो. उसके बावजूद गाजा में इसराईली दखलंदाजी की खिलाफत करते हुए पोस्ट नहीं लिखी तुमने. अब तुम्ही बताओ, तुम्हें और क्या कहूं मैं?"
मैंने सोचा इसराईली नीतियों के ख़िलाफ़ बोल देता तो मूक वधिर रजिस्टर में नाम तो नहीं जाता. फिर सोचा, लेकिन बोलने वालों की कमी है क्या? नेहरू, नासिर, टीटो ने क्या किया? बेचारे बोलते ही तो थे. यासिर अराफात भारत आते थे तो इंदिरा जी बोलती थीं. इंदिरा जी बाहर जाती थीं तो गुट निरपेक्ष सम्मेलनों में बोलती ही तो थीं. जुलियस न्येयेरेरे जी बोलते ही तो थे. लालू जी अराफात जी के अन्तिम संस्कार में गए थे. बोले ही तो थे. तो भइया, बोलने के लिए कुछ हैसियत भी तो चाहिए. हम अगर अंतराष्ट्रीय मुद्दों पर बोलेंगे तो प्रधानमंत्री किस मुद्दे पर बोलेंगे? विदेश मंत्री किस मुद्दे पर बोलेंगे? जेएनयू में खेलने विचरने वाले किस मुद्दे पर बोलेंगे? और हम तो जी अपने गली-मुहल्ले में होने वाले झगडों पर बोलेंगे. अपनी पहुँच उतनी ही है.
कल डॉक्टर साहब मिल गए. वही जिन्होंने मेरा नाम मूक वधिर रजिस्टर में दर्ज कर दिया था. मैंने उनसे पूछा; "क्या डॉक्टर साहब, आपने विरोध किया की नहीं?"
बोले; "हाँ हाँ, बिल्कुल किया. इसराईल को गालियाँ दी. और देखना हम लोग इसराईल की क्या हालत करते हैं."
मैंने कहा; "वो तो पिछले महीने की बात है. मैं तो इस महीने की बात कर रहा हूँ. मैं तो ये जानना चाहता था कि आपने चीन का विरोध किया कि नहीं? मैंने सुना है तिब्बत में बड़ी तबाही मचा रहे हैं चीन वाले."
मेरी बात सुनकर बोले; "अच्छा, अच्छा, चीन की बात कर रहे हो. लेकिन मेरा तो मानना है कि तिब्बत पहले से ही चीन का हिस्सा है."
"लेकिन इतिहास में तो लिखा गया है कि तिब्बत पर चीन ने हमला कर उसपर कब्जा कर लिया था. इसी वजह से दलाई लामा बेचारे भारत आए थे"; मैंने उनसे कहा.
मेरी बात सुनकर कुछ देर सोचते रहे. फिर बोले; "तो इसमें कौन सी नई बात है? अमेरिका ने इराक पर हमला नहीं किया क्या?"
उनकी बात सुनकर लगा जैसे अभी कहने वाले हैं कि 'अगर अमेरिका ने इराक पर हमला नहीं किया होता तो चीन तिब्बत को अपने कब्जे में नहीं लेता. लेकिन आख़िर ठहरे डॉक्टर. इतना जरूर मालूम है कि पहले चीन ने तिब्बत पर हमला कर उसे अपने कब्जे में लिया था.'
मैंने उनकी तरफ़ देखा. लगा कि एक बार पूछ लूँ कि आपका नाम उसी रजिस्टर में लिख दूँ?
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
10 comments:
"चचा हैदर, लोग पगला गये हैं। ईराक की बराबरी में तिब्बत की बात कर रहे हैं।
तिब्बत में कोई लाल सुर्ख बारिश हुयी है कभी?"
"बेटा रसूल, यह गड़बड़ आगे और होगी। नास हो गूगल का। कैसे कैसे लोगों को ब्लॉग बनाने दे रहा है ये।"
बाकी क्रियेटिव डायलाग आप खुद बनायें! :D
मूक-वधिर रजिस्टर! बढ़िया रजिस्टर है...
बॉस उस रजिस्टर में अपन का नाम तो न जाने कित्ती बार गाढ़ी स्याही से दर्ज हुई गवा होगा!!
बालकिशन जी काहे को ल्हासा के लिये मोदी और गुजरात को गालिया सुनवाना चाहते हो,ये सारे मिल कर हल्ला काटदेगे कि ल्हासा के लिये संघ मोदी और गुजरात जिम्मेदार है...:)
बहुत करारे हैं आपके ये शब्द ... मस्त।
:) sahi hai
Gyan datt ji ke post se hote hue yaha aaya. bahut din se yahee soch raha thaa, aapane mere man ke baato ko roop diya dhanywaad.
अच्छी बात कही।
इन लोगों के लिये फिलिस्तीनियों का खून अलग और तिब्बतियों का खून अलग है। मैं होता तो उस डॉक्टर के तो पहले एक चांटा लगा देता, अपने देश की संभलती नहीं और चले हैं फिलीस्तीन की बातें करने। :)
बहुत ही शानदार. क्या मजेदार कही।
Hello. This post is likeable, and your blog is very interesting, congratulations :-). I will add in my blogroll =). If possible gives a last there on my blog, it is about the Notebook, I hope you enjoy. The address is http://notebooks-brasil.blogspot.com. A hug.
Post a Comment