जेल का फाटक टूटेगा, पप्पू यादव छूटेगा. ये नारा तो लगा लेकिन जैसे आजतक बाकी के नारे काम नहीं कर सके वैसे ही इस नारे ने भी काम नहीं किया. फाटक नहीं टूटा. टूटे तो यादव जी. सुना कल रो रहे थे. बोले; "जज साहेब, हम आपका फैसला भगवान् का फैसला मानते हैं लेकिन एक बात बताय देते हैं जो आपको भी नहीं मालूम, और ऊ बात इतनी सी है कि हम निर्दोष हूँ."
जज साहब भी यादव जी की नजर में भगवान् बन गए. कम से कम इस फैसले की वजह से. जज साहब ने भी भगवान् का फ़र्ज़ निभाते हुए कह डाला; "हम भी आपकी बात समझते हैं लेकिन सुबूत वगैरह आपके ख़िलाफ़ जाते है. कम से कम मेरी नजरों में तो ऐसा ही है. यही सुबूत लेकर आप ऊंचे कोर्ट में जाईयेगा. हो सकता है वहाँ के भगवान् आपकी बात मान लें."
जायेंगे. ऊचे कोर्ट में भी जायेंगे ही. ऊंची कोर्ट बनी ही इसीलिए है कि यादव जी टाइप लोग वहाँ जा सकें. ऊंची अदालतें हैं तो ऊंचे वकील भी हैं. वही लोग कुछ करेंगे. तब तक यादव जी के पास टाइम है. लेकिन मेरी उनको एक सलाह है. इस बार नारा लिखने के लिए भी ऊंचे लोगों को चुने. ये पार्टी के छुटभैये कार्यकर्त्ता, जी हाँ कार्यकर्ता भी छुटभैये होते हैं, केवल नेता ही नहीं, नारा लिखेंगे तो फाटक का टूटना ज़रा मुश्किल है. सामाजिक न्याय दिलाने वाले नेता हैं तो बुद्धिजीवी और साहित्यकार भी हैं. उनमें से किसी को पकड़ें, शायद नारा काम कर जाए.
इसी बात पर मेरी एक कविता सुन लीजिये, सॉरी पढ़ लीजिये. इंटरनेशनल कवियों की कवितायें कब तक ठेलूँगा? इस तरह से तो मेरे अन्दर के कवि की लेखनी पर गर्दा जम जायेगा.
कितने अच्छे दिन थे, कसकर जब हुकूमत हाथ में
वे फिरा करते थे लेकर गुंडे चमचे साथ में
घूमा फिर चक्का समय का, हाथ खाली हो गया
जो बना फिरता था नेता अब मवाली हो गया
मिल गई उनको सजा लेकिन कहें; 'निर्दोष हैं'
जिनको कहते लालू यादव, 'आजके ये बोस हैं'
जिनकी करतूतों से डर कर लोग सारे त्रस्त थे
कल उन्हें देखा सभी ने, रोने में वे व्यस्त थे
देखिये कैसा चला चक्कर समय का आज है
मिल गई उनको सजा हाथों में जिनके राज है
पर अदालत का ये निर्णय पूरा माना जायेगा
उच्च न्यायालय भी इनको जब सजा दिलवाएगा
अरे वाह..भइया शिव कुमार जी, देख लीजिये. तुकबंदी हम भी कर सकता हूं.पचीस ग्राम ही सही....:-)
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7 comments:
देख लिया जी, देख लिया. पचीस ग्राम नहीं, पूरे पौने किलो है तुकबंदी तुम्हारी...
सई है, तो क्यों न आपको तुक्कड़ श्री की उपाधि दे दी जाए।
सामाजिक न्याय दिलाने वाले नेता हैं तो बुद्धिजीवी और साहित्यकार भी हैं
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आज कल ब्लॉग पर भी बहुत न्याय बंट रहा है। और पप्पू यादव तो उसके परम सुपात्र होंगे।
बहुत बढ़िया तुकबंदी है। मजा आया।
बहुत सह्ह्ह्ही!!!! आनन्द आ गया!
बहुत खूब
मज़ेदार
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