सरकार ने लिक्विडिटी को बढ़ावा देते हुए व्याज दरों में गिरावट की. आशा थी कि अब गड्डी बिकेगी.
लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
बिकी तो लेकिन गड्डी नही बल्कि.....
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बढती उम्र और बढ़ता पेट, दोनों बहुत दुःख देते हैं. इतने बड़े दुःख के साथ जीने के लिए इंसान के पास लिखने का साधन हो तो याद करके लिख सकता है कि चार साल पहले उम्र कितनी कम थी और पेट कितना कम. ये ब्लॉग उन्ही यादगार पलों के लिए है.
5 comments:
आप क्या बेचेगे वैसे ?किसी ओर को साथ लेंगे या अकेले ठेली लगायेंगे ?
बहुत दिनों में आए। क्यो बेच रहे थे?
गड्डी कार वाली या नोटों की?
बहुत भ्रम है क्या बेचना था और लेकिन के बाद क्या हुआ
आपको परिवार सहिय होली पर्व की बधाई और घणी रामराम.
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