लोडशेडिंग हो गई. दूकान पर कैंडल नहीं मिली.
स्साले सारी मोमबत्तियां खरीद ले गए. कह रहे थे आतंकवाद से जंग लडेंगे.
आतंकवाद से जंग!
माय फुट.
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बढती उम्र और बढ़ता पेट, दोनों बहुत दुःख देते हैं. इतने बड़े दुःख के साथ जीने के लिए इंसान के पास लिखने का साधन हो तो याद करके लिख सकता है कि चार साल पहले उम्र कितनी कम थी और पेट कितना कम. ये ब्लॉग उन्ही यादगार पलों के लिए है.
23 comments:
BAABOO GUSSE MEN HO
आज मैं एक सूची जारी करना चाहता हूँ :- इसे स्वीकारना ही होगा
1. भारत में कोई भी व्यक्ति या समुदाय किसी भी स्थिति में जाति, धर्म,भाषा,क्षेत्र के आधार पर बात करे उसका बहिष्कार कीजिए ।
2. लच्छेदार बातों से गुमराह न हों ।
3. कानूनों को जेबी घड़ी बनाके चलने वालों को सबक सिखाएं ख़ुद भी भारत के संविधान का सम्मान करें ।
4. थोथे आत्म प्रचारकों से बचिए ।
5. जो आदर्श नहीं हैं उनका महिमा मंडन तुंरत बंद हो जो भी समुदाय व्यक्ति ऐसा करे उसे सम्मान न दीजिए चाहे वो पिता ही क्यों न हो।
6. ईमानदार लोक सेवकों का सम्मान करें ।
7. भारतीयता को भारतीय नज़रिए से समझें न की विदेशी विचार धाराओं के नज़रिए से ।
8. अंधाधुंध बेलगाम वाकविलास बंद करें ।
9. नकारात्मक ऊर्जा उत्पादन न होनें दें ।
10. देश का खाएं तो देश के वफादार बनें ।
11. किसी भी दशा में हुई एक मौत को सब पर हमला मानें ।
12. देश की आतंरिक बाह्य सुरक्षा को अनावश्यक बहस का मसला न बनाएं प्रेस मीडिया आत्म नियंत्रण रखें ।
13. केन्द्र/राज्य सरकारें आतंक वाद पे लगाम कसने देश में व् देश के बाहर सख्ती बरतें । पुलिस , गुप्तचर एजेंसीयों को सतर्क,सजग,निर्भीक रखें उनका मनोबल न तोडें ।
आतंकवाद से जंग!
माय फुट !
सटीक !
रामराम !
वाह बालकिशन, वाह!
किरोसिन तेल की ढिबरी मिल रही होगी या वह भी ले गये देश भक्त?!
पहाड़ में चीड़ की छाल या लकड़ी जिसे छिलुक कहते थे, मशाल की तरह जलाई जाती थी, कुछ वैसा ही आपके इलाके में भी होता होगा । अन्यथा सड़क पर गोबर तो होता होगा, अब हमारी नियति इसकी गोबर गैस बनाकर जलाने की हो गई है । शायद इसीलिए नगरपालिका सड़क पर गायों को घूमने देती है, हम आप समझे नहीं । और फुट को सम्भाल रखिए नहीं तो वह भी ले जाएँगे ले जाने वाले !
घुघूती बासूती
आतंकवाद से जंग!
माय फुट.
सच कहा बिल्कुल सच
regards
हा..हा..हा.....बेहतरीन...मोमबत्ती के रेट ही बढ़ा दो...मोमबत्ती बनाने वाले भूखे तो नहीं मरेंगे...गोली से मर जाएं तो सरकार मुआवजा ही दे देगी...भूखे मरने पर तो कफन तक नहीं देती.
अधिकांश लोगों की भावनाएं ऐसी ही हैं, धन्यवाद।
सभी के मन में ऐसा ही एक आक्रोश है
क्या कहूँ ?वाह तो कह नही सकता ....बस आक्रोशित हूँ ..बैचैन हूँ
अरे तुम्हें भी मोमबती की किल्लत झेलनी पड़ी? भइया, घर में रोशनी से ज्यादा ज़रूरी है मैदान की रोशनी. देख नहीं रहे? हमारी नौसेना सोमालिया के डाकुओं के शिप डुबाने में व्यस्त है और आतंकवादियों के शिप मुंबई तक पहुँच जा रहे हैं.
सटीक .सटाक सटाक सटाक सटीक.
सही कहा जी आपने
फ़रीदाबाद मे चार दिन से लाईट नही है . कहते है कि राजेस्थान को चुनाव के बाद भरपूर लाईट देगे. इसलिये केंद्र सरकार बचा कर रख रही है . डीजल भी नही मिल पा रहा है कहते है खतम हो गया आने पर देंगे . अब मोमबत्ती से तो फ़ैक्टरी चलेगी नही सो हम खरीदने भी नही गये . अब आप कहते हो वो जंग जीतने वाले ले गये ? अभी तक तो पाक सीमा पर ही दिल जीतने के लिये जलाने जाते थे ये लोग , अब क्या देश मे भी ये मोम बत्ती जला जला कर जंग जीतेगे
इब ये क्या हो रिया ?
दोनो पाटिल बैठ सडक पे
धाड मार के रो रिया
एन डी टी वी जंग
जिताऊ एस एम एस
करोडो नोटो मे खो रिया
राहुल भैया धमका सबको
पार्टी मे खुश हो रिया
गंणपती बप्पा मोरिया
सोनिया मंडली के करतब
देख देख के रो रिया
आतंकवाद से ज़ंग !!!!
माय भी फ़ुट है जी.
सही और सच्चा आक्रोश है आपका। वैसे तो घर में घुसे रहेंगे और ऐसे प्रतीकात्मक तौर पर मोमबत्तियां और दीपक जलाकर आतंकवाद से जंग लड़ेंगे। सीरीयसली माय फुट!!!!
अंधेरे में कुछ सुझता जो नहीं!!!!
अपन तो आज बहौत खुश हैं। आप भी खुश हो जाइए। हम सुरक्षित हैं, आप सुरक्षित हैं। अगले 3-4 महीनों के लिए हम सब को जीवनदान मिल गया है। क्योंकि आम तौर एक धमाके के बाद 3-4 महीने तो शांति रहती ही है। क्या हुआ जो 3-4 महीने बाद फिर हम करोड़ों लोगों में से 50, 100 या 200 के परिवारों पर कहर टूटेगा। बाकी तो बचे रहेंगे। दरअसल सरकार का गणित यही है। हमारे पास मरने के लिए बहुत लोग हैं। चिंता क्या है।
अजी ये बापू का देश है,( भगत सिहं,सुभाष चंद्र बोस ओर वल्लभ भाई पटेल तो शायद मेरे ख्याल से बंगलादेशी थे, आपका क्या ख्याल है?
अहिंसा परमो धर्म:
औम शान्ती-शान्ती-शान्ती औम्
अच्छे बच्चे लडाई-झगडे-जंग की बातें नहीं किया करते, गन्दी बात
काउंट माय फुट एज वेल
अब से मोमबत्तियाँ स्टोर कर के रखनी पड़ेंगी।
आतंकवाद से जंग
The tiniest toe of my left foot!!
my foot? यार पैर भी कुछ काम का होता है (दरअसल बहुत काम का होता है). पर मोमबत्ती से आतंक से लडाई तो किसी भी काम की न है, फ़िर कैसे 'माई फुट'? it should be, my kick, their ass. fucking bloody candle mongers! bet they have never visited polling booth in their whole lives.
आतँकवाद का प्रतिकार करो -
कुछ तो करो -
सिर्फ आँसू बहाना
और मोमबती जलाने से क्या होगा ?
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http://politiclone.blogspot.com/2009/01/rage-and-outrage-amidst-political.html
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