Monday, December 10, 2007

लिंकित पोस्ट और शंकित मन ; या फ़िर आप बताएं इस पोस्ट को मैं क्या नाम दूँ.

कुछ शीर्षक के बारे में.
लिंकित पोस्ट इसलिए की मैंने इस पोस्ट में बहुत से लिंक देकर लिखने का प्रयास किया है और शंकित मन इसलिए कि मन मे एक संदेह है कि ये पोस्ट आपको पसंद भी आएगी या नहीं. खैर जो भी हो आप लोगों से निवेदन है पोस्ट पढने के बाद टिपण्णी के साथ-साथ एक उपयुक्त शीर्षक भी जरुर बताएं.
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बचपन मे एक खेल खेला करते थे. किसी भी हीरो या हिरोइन की बहुतसी फिल्मों के नाम एक साथ जोड़कर कुछ सार्थक वाक्य बनाने पड़ते थे. जिसके वाक्य सबसे ज्यादा होते थे वही खेल मे विजेता घोषित होता था. कुछ ऐसा ही प्रयास मैंने बहुत से ब्लोगों के नाम को लेकर किया है.

चिटठा जगत ब्लाग्वानी और नारद
के वरिष्ट/वरिष्ठतम महानुभावों ( मेरी जानकारी मे, किसी की आपत्ति की कोई जगह नही है.) जैसे ज्ञान भैया, सारथी जी, फुरसतिया जी, मिश्रा जी, काकेश जी , आलोक (अगड़म-बगड़म) जी आदि-आदि. कोई वरिष्ट या वरिष्ठतम छूट गए हो तो माफ़ी चाहता हूँ.


कछु ह‍मरी सुनि लीजै
जोगलिखी हिन्दी - चिट्ठे एवं पॉडकास्ट की दुनिया मे आप सब को बालकिशन का प्रणाम.मैंने अपने चिट्ठा चर्चा की शुरुवात मेरी कलम से गाहे-बगाहे लिखे कुछ रिजेक्ट माल से करते हुए अपनी भड़ास निकाली थी. धीरे-धीरे अपने शब्‍दों का सफ़र और अपनी शब्दों की दुनिया को एक बाल -उद्यान, एक बगीची की तरह पुष्प पल्लवित करते हुए हिन्दी ब्लॉग की जीवन-धारा मे मेरा पन्ना भी संवेदनाओं के पंख लगाकर दिल से दिल की बात करता हुआ निर्मल-आनन्द के सागर मे गोता लगाने लगा है.

पर मेरे लिंकित मन मे कुछ शंकित प्रश्न भी है और कुछ मानसिक हलचल मे दखल देती हुई चिंताएं भी जिसके विषय मे मुझे कुछ कहना है और जिसका समाधान ये स्वप्नदर्शी गुस्ताख़ ये आवारा बंजारा आपकी .अदालत से चाहता है. जैसे रचनाकार का ब्लॉग "Raviratlami Ka Hindi blog" या "Meri Katputliyaan" अंग्रेजी मे क्यों लिखा है. जैसे टिप्‍पणीकार विचारों की जमीं पर अपनी छाया तो दिखलाते है. पर छिपे क्यों रहते है. जैसे निंदा पुराण को आरंभ करने वालों को तीसरा रास्ता के तीसरा खम्भा मे बाँध कर उनकी हवा पानी बंद क्यों नही की जाती. (इसे ऑफ द रिकॉर्ड रखें).

इन सब बात बतंगड़ और उधेड़-बुन में हम असली तत्वचर्चा कि "प्रेम ही सत्य है" को तो बेदखल की डायरी मे लिखी "मेरी कविता" (घरेलु उपचार की) की तरह नौ दो ग्यारह कर देते है. कुछ चिठ्ठे ऐसे भी है जिनसे त्वरित लाभ होता है जैसे वाह!मनी , सेहतनामा , स्मार्ट निवेश , Global voices , cinema- सिलेमा (ये सभी नाम भी अंग्रेजी में, सारथी जी आप देख लें) आदि आदि.

महोदय जिस प्रकार एक कर्मचारी के कर्म ही उसे मिलने वाले पारिश्रीमिक का कारण होते है उसी प्रकार एक ब्लॉगर की पोस्ट ही उसे मिलने वाली टिप्पणियों और लिंकों का कारन होती है. मैं ये सब इसलिए कहना चाहता हूँ कि हम सब दिल का दर्पण खोल कर बहुत लिखे और अच्छा लिखे. मुझे आशा ही नही पूर्ण विश्वाश और भरोसा है कि हम सब के सामुहिक प्रयास से ये हिन्दी ब्लोग्गिंग की दुनिया जो अभी इंग्लिश ब्लोग्गिंग की दुनिया के सामने टुटी हुई बिखरी हुई और हाशिया पर नज़र आती है अपने कारवाँ को खेत खलियान और धान के देश से आगे लेजाते हुए ब्लोग्गिंग आकाश पर एक विस्फोट करते हुए अश्विनी के समान चमकेगी.

बात बे बात मे अगर कुछ मेरी कलम से ग़लत लिखा गया तो इसे एक हिंदुस्तानी की डायरी मे लिखी विनय पत्रिका समझ कर बिसरा दीजियेगा.

कबाड़खाना से ब्लोगिया कंही का .

आप सब का

लपूझन्ना

18 comments:

Pramendra Pratap Singh said...

बढि़या लिखा है, वैसे हम छूट गये है :)

हा हा हा,
ब्‍लाग ऐसी कला है जो सब कुछ लिखवा देती है। :)

अनिल रघुराज said...
This comment has been removed by the author.
अनिल रघुराज said...

इससे पता चलता है कि आप कितना ज्यादा पढ़ते हैं। मुझे तो कई नए ब्लॉगों का पता इस पोस्ट को पढ़ने से चला। अच्छा है। ज्यादा पढ़ना, खूब सोचना और फिर लिखना। आप इस कड़ी को सफल करें, यही मेरी मनोकामना है।

रंजू भाटिया said...

वाह !! यह अंदाज़ बहुत ही पसंद आया ,एक दम नया सा :) यूं ही इस कड़ी को आगे बढाए ,अब तो आदत बन चुकी है अख़बार की तरह ब्लोग्स पढने की :) कई ब्लोग्स आपके इसी लेख के मध्याम से पता चले
शुभकामना के साथ

रंजू

रंजू भाटिया said...

इसका नाम ""ब्लॉग एक्सप्रेस ""या "'ब्लाग्स की दुनिया'" ..यह सिर्फ़ मेरे सुझाव हैं :)

काकेश said...

काकेश की कतरनों से आपको लिंकित पाकर मन बाग बाग हो गया. इस हेतु आपको धन्यवाद.

Gyan Dutt Pandey said...

वाह प्यारे बालकिशन, लिंक से लिंक मिलाते चलो; प्रेम की गंगा बहाते चलो!

Unknown said...

link road नहीं तो blink नाम रख लीजिये...हिन्दी में..
:))

Neelima said...

बधाई बालकिशन जी ! बहुत बढिया लिंक किए हैं आप हमें ! अब निश्शंक हो जाइए !

ALOK PURANIK said...

भई भौत बढ़िया जी।

Sanjeet Tripathi said...

शानदार!! क्या बात है बालकिशन जी। मान गए।
बहुत बढ़िया लिंकित किया है आपने!!
बधाई!!

आवारा बंजारा में, "मुन्ना भाई मीट्स हिंदी ब्लॉगर्स 1 व 2 " पढ़िएगा। उसमें भी लिंकित करने की कोशिश की थी।

PD said...

भैया, हम तो छूट गये.. :(
फिर भी ये नय अंदाज अच्छा लगा.. :)

नीरज गोस्वामी said...

श्रीमान जी
हमारे ब्लॉग पर कमेंट्स लिखते समय तो बड़े बड़े शब्दों से सम्मानित करते थे हुजूर और जब ये पोस्ट लिखी तो हमको भूल गए. आप के कमेंट्स पढ़ पढ़ कर हम जिस ग़लत फ़हमी के शिकार हो गए थे उसे आज आप ने दूर कर दिया. हमको आईना दिखाने के लिए शुक्रिया.
ऊपर जो लिखा वो थी मजाक की बात और सच बात ये है की आप ने बहुत शोध किया है ब्लोगियों और ब्लॉग शीर्षकों पर हाँ हमरा इतना ही कहना है जनाब की अगर इस से आधी भी मेहनत कहीं पढाई में किए होते तो आज आप के नाम के आगे डाक्टर लगा होता.
आप की पोस्ट पढ़ के मुझे फ़िल्म "एक दूजे के लिए" का गाना याद आ गया जिसमें हिन्दी फिल्मों के नाम की खिचडी से गाना बनाया गया था.याद आया क्या आप को? वैसे आप को मालूम ही होगा की इस से मिलती जुलती पोस्ट शिव भी लिख चुके हैं. लगता है आप उनके सम्पर्क में कुछ ज्यादा ही रहने लगे हें तभी खरबूजे को देख खरबूजा रंग बदल रहा है.
(नोट : हमारे कमेंट को सीरियसली न लिया जाए अगर लिया तो इस से होने वाले परिणामों के लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे.)
नीरज

Shiv Kumar Mishra said...

वाह भैया,

कमाल कर दिए हो...इतनी मेहनत!...लेकिन ये क्या किया आपने?...नीरज भैया की शिकायत पर गौर करें....
वैसे ये कामाल का लिखा है आपने...लिंकित पोस्ट तो समझ में आया, लेकिन मन शंकित क्यों है?...मन की शंका दूर करें, क्योंकि आपकी पोस्ट एक दम झक्कास है.....:-)

और हाँ, महाशक्ति जी के बात पर भी ध्यान दिया जाय. अगली पोस्ट में प्रमेन्द्र 'महाशक्ति' के ब्लॉग को लिंक करना न भूलें......:-)

Shastri JC Philip said...

बहुत अच्छा प्रयोग. खतरनाक भी, क्योंकि कई बार अपने स्नेहीजनों के चिट्ठे छोड जाने का खतरा है.

शैलेश भारतवासी said...

आदरणीय बाल-किशन जी,

आपने यह शोध=पोस्ट लिखा और हम अंजान रह गये। आज घूमते-घूमते यहाँ पहुँच गये। आपकी पठनीयता को नमन।

Manjit Thakur said...

साधुवाद, वैसे खुशी हुई हम भी हैं लिस्ट में

मीनाक्षी said...

बालकिशन जी , बड़े दिन से आपको ब्लॉगजगत में देखा नहीं तो यहाँ चले आए आपके ब्लॉग में आपका ईमेल ढूँढने लेकिन नहीं मिला तो इस लाजवाब पोस्ट पर सन्देश छोड़े जा रहे हैं. आशा है नए वर्ष में सब ठीक होगा.