Wednesday, December 10, 2008

कुछ तो कोरा रहे .....

लिख लेते कविता
अगर हाथ में हरी, लाल, पीली पन्नी रहती
लेकिन मिला भी तो सफ़ेद कागज़
कैसे चलाऊँ उसपर कलम?
काली सियाही उसे भद्दा कर देगी

सफ़ेद कागज़ की यही समस्या है
लालच तो देता है
लेकिन डरता भी है

वैसे तो कहता है कुछ लिख दो
लेकिन डरता है इस बात से कि;
चली जायेगी उसकी सफेदी
मौत हो जायेगी उसके सफेदपन की
क्योंकि इस समय की कविता
हमेशा कालापन देती है
और सफ़ेद कागज़ को
इस कालेपन का भय सताता है

फिर सोचता हूँ;
कुछ तो सफ़ेद रहे
कुछ तो कोरा रहे
कागज़ ही सही

Monday, December 1, 2008

स्साले सारी मोमबत्तियां खरीद ले गए..........

लोडशेडिंग हो गई. दूकान पर कैंडल नहीं मिली.
स्साले सारी मोमबत्तियां खरीद ले गए. कह रहे थे आतंकवाद से जंग लडेंगे.
आतंकवाद से जंग!
माय फुट.